“चीनी मिर्च और भारतीय मसाले फिर साथ में — अब बॉन्डिंग की बात

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन, ट्रेड एनालिस्ट

भारत और चीन के बीच लंबे समय से चली आ रही कड़वाहट अब गरम चाय की तरह धीरे-धीरे ठंडी हो रही है — और इसमें सबसे बड़ा टी-बैग डाला है नई दिल्ली में हुई 19-20 अगस्त 2025 की द्विपक्षीय बैठक ने।

उड़ानें होंगी बहाल, तो दिल भी उड़ान भरेगा

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और वांग यी की मीटिंग में यह तय हुआ कि भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानें फिर से शुरू होंगी। इसके साथ ही वीजा प्रक्रिया को भी “स्मूथ मोड” में डाल दिया गया है। तो अब न गूगल ट्रांसलेट लगेगा, न ही एजेंट की जेब भारी करनी पड़ेगी।

कैलाश यात्रा को फिर से मिली हरी झंडी

बड़ी खुशखबरी उन श्रद्धालुओं के लिए जो मानसरोवर यात्रा का सपना देख रहे थे। नाथुला पास के जरिए 2026 में यात्रा फिर से शुरू की जाएगी।

Rare Earth से लेकर Tunnel Machine तक

भारत ने जो डिमांड रखी थी — उर्वरक सप्लाई, रेअर अर्थ मैग्नेट, और टनल बोरिंग मशीन का आयात — उन पर चीन ने सहमति जताई है। यानी अब मेट्रो टनल भी खुदेगी और तकनीक भी “मेड इन चाइना” होगी।

सीमा पर शांति, तनाव में ढील

LAC यानी लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल — जहाँ पहले सिर्फ़ खामोशी और सैनिक टेंशन था, अब वहां बात होगी शांति की। सीमा निर्धारण पर समाधान की दिशा में दोनों देश आगे बढ़ेंगे।

NSA अजीत डोभाल भी इस डिप्लोमेटिक चाय पार्टी का हिस्सा रहे और उन्होंने पिछले साल रूस में हुई मुलाकात को नई दिशा दी।

वीजा, टूरिज्म और मीडिया पर भी खुलेंगे दरवाज़े

व्यापार, मीडिया, टूरिज़्म और आम नागरिकों के लिए वीज़ा सुविधा फिर से चालू की जाएगी। यानी अब “नी वाओ” कहकर चीन जाना फिर से possible है। दोनों देशों ने राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ भी धूमधाम से मनाने की तैयारी की है।

मोदी को SCO सम्मेलन का न्योता

वांग यी ने खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को SCO शिखर सम्मेलन के लिए चीन के तियोनजित में आमंत्रित किया है। साथ ही ब्रिक्स 2026 में भारत के लिए फुल सपोर्ट का भी वादा किया।

“बॉर्डर से बॉन्डिंग की ओर, कड़वाहट से कॉफी की ओर”

भारत और चीन के बीच के इस डिप्लोमैटिक डेवलपमेंट को सिर्फ़ मीटिंग नहीं, एक माइलस्टोन कहा जा सकता है। जहाँ पहले ड्रैगन और टाइगर अलग-अलग रास्तों पर चल रहे थे, अब वही साथ में रोडमैप बना रहे हैं।

जैसे किसी रिश्ते में थोड़ी बहस के बाद प्यार गहरा होता है, वैसे ही लगता है कि इंडिया-चाइना का रिश्ता अब 5G कनेक्शन की तरह तेज़ और स्थिर होने वाला है।

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